दुर्गे आरती Durga Aarti | Aarti Sangraha - Sanjeevani Bhelande Lyrics
| Singer | Sanjeevani Bhelande |
| Song Writer | Traditional |
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी।
अनाथ नाथे अंबे करुणा विस्तारी।
वारी वारी जन्म मरणांते वारी।
हारी पडलो आता संकट निवारी॥१॥
जय देवी जय देवी महिषा सुरमथिनी।
सुरवर ईश्र्वर वरदे तारक संजीवनी॥धृ॥
तुजवीण भुवनी पाहता तुज ऐसे नाही।
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही।
साही श्रमले परंतु न बोलवे काही।
साही विवाद करिता पडले प्रवाही।
ते तू भक्तालागी पावसी लवलाही॥२॥
प्रसन्न वदने प्रसन्न होती निजदासा।
क्लेशांपासूनी सोडवी तोडी भवपाशा।
अंबे तुजवाचून कोण पुरवील आशा।
नरहरी तल्लीन झाला पदपंकजलेशा॥३॥
0 टिप्पण्या